बुधवार, 18 जून 2014

क्या गरीब और आम व्यक्ति को इन प्रश्नों का कभी जबाब मिलेगा ?

दोस्तों, मेरी खुली चुनौती है कि-कुछ ऐसे प्रश्न जिनका जबाब किसी राज्य सरकार व मोदी सरकार के साथ ही क्षेत्रीय  पार्षद, विधायक और सांसद से नहीं मिल सकता हैं, क्योंकि यहाँ सब कुछ  गोल-माल या जुगाड़ है.

1. क्या दिल्ली में उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी नगर निगम और दिल्ली पुलिस (क्षेत्रीय थाना) को बिना रिश्वत दिए अपना मकान बनाना संभव है ? यदि हाँ  तो कैसे ?

 

2. यदि किसी गरीब और आम व्यक्ति की अपने क्षेत्रीय पार्षद, विधायक और सांसद से कोई जान-पहचान या अन्य किसी के द्वारा सम्पर्क (जुगाड़ या सिफारिश) नहीं है तो क्या वो व्यक्ति अपना मकान (निर्माण कार्य) नहीं बना सकता है?

 

3. यदि उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी नगर निगम और दिल्ली पुलिस का कहना है  कि ऐसा कुछ (रिश्वत का लेन-देन) नहीं है तो आज उत्तम नगर सहित पूरी दिल्ली में क्षेत्रीय पार्षद, विधायक और सांसद सहित सभी राजनैतिक पार्टियों के जानकार व्यक्तियों और बिल्डरों द्वारा किया जा रहा निर्माण कैसे हो रहा है?

 

4. यदि आप अगर नीचे से लेकर ऊपर तक उनका मुंह मीठा (रिश्वत का लेन-देन) न करवाओ तो क्या आपके मकान को गिरा दिया जाता है या निर्माण कार्य बंद नहीं  करवा दिया जाता है?

 

5. क्या पूरी दिल्ली के क्षेत्रीय पार्षद, विधायक और सांसद के साथ ही दिल्ली नगर निगम का कोई अधिकारी इसका जबाब देगा ?

 

यदि हम सूत्रों की बात माने तो पूरे उत्तम नगर के पिनकोड 110059 (जिस में चार विधानसभा का क्षेत्र आता है) में लगभग 2000 मकानों का अवैध निर्माण हो रहा है. इस तरह से पूरी दिल्ली में एक अनुमान के अनुसार लगभग डेढ़ लाख मकानों का निर्माण हो रहा है. सूत्रों का कहना है कि-अपने मकानों का निर्माण करने के लिए आपकी ऊँची पहुँच होनी चाहिए, नहीं तो आप अपना मकान ही बना सकते हैं. अवैध निर्माण कार्यों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश केवल कागजों पर सिमटकर रह जाते हैं या किसी गरीब व आम व्यक्ति पर ही लागू होते हैं. जो बेचारा अपना पेट काट-काटकर एक-एक पैसा जोड़कर अपने लिए छत बनाने की कोशिश करता है. अपनी राजनीति चमकाने के लिए राजनैतिक पार्टियों को कुछ कालोनियां अवैध नजर आती है और उनके लिए विकास कार्य अवैध नजर आते हैं. लेकिन जब इनको वहां से वोट लेनी होती है तब उन अवैध कालोनियों में रहने वालों की वोट क्यों नहीं अवैध दिखती हैं ?

दोस्तों, मैं तो अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक, चारों पार्षद से पूछ रहा हूँ. देखते हैं क्या कोई जबाब मिलेगा या नहीं ? आप भी पूछे (जब मौत एक दिन आनी है फिर डर कैसा? सौ दिन घुट-घुटकर मरने से तो एक दिन शान से जीना कहीं बेहतर है. मेरा बस यहीं कहना है कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा. फिर क्यों नहीं तुम ऐसा करो कि तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनिया हमेशा याद रखें. धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य कर्म कमाना ही बड़ी बात है) और यदि इस पोस्ट का विषय सही लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर करें.                                                                                             

(पार्षद-अंजू गुप्ता, मोहन गार्डन, वार्ड नं. 125)

 (पार्षद-नरेश बाल्यान, नवादा, वार्ड नं. 126)

(पार्षद-शिवाली शर्मा, उत्तम नगर, वार्ड नं. 127)

 (पार्षद-देशराज राघव, बिंदापुर, वार्ड नं. 128)


बुधवार, 8 मई 2013

मैंने "आम आदमी पार्टी" से कहा कि-मुझे आपसे झूठ बोलकर "टिकट" नहीं लेना है

दोस्तों, मैंने "आम आदमी पार्टी" का उम्मीदवार चयन प्रक्रिया के तहत अपना फार्म भरकर भेजा है और उसके साथ अपना निम्नलिखित कवरिंग पत्र भेजा है. जिसमें मेरी संक्षिप्त विचारधारा के साथ थोडा सा जीवन परिचय देने का प्रयास किया है. आमने-सामने बैठने पर और उसकी विचारधारा से अवगत हुआ जा सकता है. लेकिन पत्र के माध्यम से अपनी विचारधारा से अवगत करवाने का प्रयास किया है. अब आप ही पढकर बताएँगे कि आम आदमी पार्टी के संयोजक श्री अरविन्द केजरीवाल तक अपनी विचारधारा कितने सही तरीके से पहुँचाने में कितना कामयाब हुआ हूँ या नहीं. अपनी विचारधारा के साथ अपने पत्र और आपके बीच में कोई बाधा न बनते हुए, फ़िलहाल अपनी लेखनी को यहीं पर विराम देता हूँ.
 
मिलें:-  श्री दिलीप पांडे (सचिव) चुनाव समिति
आम आदमी पार्टी
मुख्य कार्यालय:ए-119, ग्राऊंड फ्लोर, कौशाम्बी, गाजियाबाद-201010.
www. aamaadmiparty.org  Email id  :  info@aamaadmiparty.org
Helpline    :  9718500606 Facebook :  AamAadmiParty 
Twitter : @AamAadmiParty 


विषय:- उत्तम नगर विधानसभा उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव पत्र
स्क्रीनिंग कमेटी और श्री अरविन्द केजरीवाल जी,  

श्रीमान जी, मैं सबसे पहले आपको यहाँ एक बात साफ कर दूँ कि मुझे आपसे उत्तमनगर विधानसभा के उम्मीदवार के लिए "टिकट" झूठ बोलकर नहीं लेनी है. इसलिए मैंने अपने फार्म में अधिक से अधिक सही जानकारी देने का प्रयास किया है. मेरी ईमानदारी और सच्चाई के कारण यदि आप टिकट नहीं देते हैं तब मुझे कोई अफ़सोस नहीं होगा,  मगर आपसे झूठ बोलकर या गलत तथ्य देकर टिकट लेना मेरे "जीवन का लक्ष्य" नहीं है. झूठ बोलकर वो व्यक्ति टिकट लेगा, जिसको अपनी ईमानदारी और सच्चाई पर पूरा विश्वास नहीं होगा. माना कि सच्चाई की डगर पर चलना कठिन होता है. कहा जाता है कि-आसान कार्य तो सभी करते हैं, मगर मुश्किल कार्य कोई-कोई करता है. इसी सन्दर्भ में एक कहावत भी है कि-गिरते हैं मैदान-ए-जंग में शेर-ए-सवार, वो क्या खाक गिरेंगे, जो घुटनों के बल चलते हैं. आप की पार्टी (आम आदमी पार्टी) द्वारा विधानसभा उम्मीदवारों का विवरण प्राप्त करने के लिए प्रारूप (फार्म-ए) में यदि राज्य चुनाव आयोग के चुनाव उम्मीदवार के फार्म में शामिल कुछ प्रश्नों (कोलम) एवं प्रक्रिया को और जोड़ दिया जाता तो आपको हर विधानसभा क्षेत्र से आने वाले उम्मीदवारों के बारे में काफी अधिक जानकारी मिल सकती थी. चलिए अब जो हो गया है. उसको पीछे छोड़ते हुए अब आप पूरी दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों के लिए "अच्छे उम्मीदवारों" का चयन कर पाएँ. यहीं मेरी दिली तमन्ना है. आज अच्छे पदों हेतु केवल डिग्री या व्यक्ति के सामान्य ज्ञान की ही परीक्षा ली जाती है. आदमी में "इंसानियत"  है या नहीं. इस बात की परख नहीं की जाती है और इसका नतीजा अच्छा नहीं होता है. 
श्रीमान जी, जिस प्रकार लेखक मुंशी प्रेमचन्द की कहानी "परीक्षा" के पात्र बूढ़े जौहरी (पारखी) सरदार सुजान सिंह ने अपनी जिस सूझ-बुझ से रियासत के दीवान पद के लिए बुगलों (उम्मीदवारों) की भीड़ में से हंस (जो अपने विशिष्ट गुणों और सौंदर्य के आधार पर अलग होता है) यानि पंडित जानकीनाथ जैसे न्याय करने वाले ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ट उम्मीदवार का चयन कर लिया था. जिसके ह्रदय में साहस, आत्मबल और उदारता का वास था. ऐसा आदमी गरीबों को कभी नहीं सताएगा. उसका संकल्प दृढ़ है तो उसके चित्त को स्थिर रखेगा. वह किसी अवसर पर चाहे किसी से धोखा खा जाये. परन्तु दया और अपने धर्म से कभी पीछे नहीं हटेगा. उसी प्रकार आप और आपकी स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य यदि पूरी दिल्ली की विधानसभाओं के लिए "हंस" जैसे उम्मीदवारों का चयन कर पाए तो पूरी दिल्ली में आपकी पार्टी का राज हो सकता है. इस समय आप दो धारी तलवार की धार पर खड़े है. यदि आप की पार्टी ने किसी चमचागिरी या दबाब या लालचवश,  भेदभाव की नीति में उलझकर या धर्म या जाति समीकरण के आंकड़ों में उलझकर गलत व्यक्ति (बुगले) का चयन कर लिया तो आपको राष्ट्रीय स्तर पर काफी नुकसान होगा और आपकी छवि खराब होगी.  आपका सर्वप्रथम लक्ष्य अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझने वाला, दूरदृष्टि के साथ ही देश/समाज सेवा की भावना रखने वाले ईमानदार व्यक्ति (उम्मीदवार) का चयन करना ही होना चाहिए. जैसे अर्जुन को केवल मछली की आँख दिखाई देती थी. चुनाव में "हार" और "जीत" को इतने मायने न दें. बल्कि अपने आदर्शों और सिध्दांतों के साथ चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवारों को उतारे. इससे आम आदमी प्रभावित होगा. बाकी जैसी आपकी मर्जी, क्योंकि आपकी पार्टी है. आप चाहे जैसे करें. यह आपके विवेक पर निर्भर है. 
श्रीमान जी, वर्तमान सरकार और विपक्ष के साथ ही सारे देश के आम आदमियों की निगाह आपकी तरफ है कि आप अपनी पार्टी के लिए कैसे-कैसे उम्मीदवारों का चयन करते हैं. यदि आप मात्र सत्ता पर कब्जा जमाने की अति महत्वकांक्षा चलते "हंस" (अच्छे उम्मीदवार) नहीं चुन पाएँ तो काफी लोगों की आपसे उम्मीदें टूट जायेंगी और यदि आप बिना सत्ता की भूख रखकर चुनाव मैदान में अच्छे उम्मीदवार(हंस) उतारने का उद्देश्य पूरा कर पाएँ तो आप एक अच्छे जौहरी बनकर अपना थाल मोतियों से भरा पायेंगे और आपके साथ जो आम आदमी सच में व्यवस्था बदलने के इच्छुक है, वो आपके साथ जुड जायेंगे. फ़िलहाल वो आपकी पार्टी की कार्यशैली पर अपनी गिध्द दृष्टि जमाए हुए है और देखना चाहते हैं कि आपकी कथनी और करनी में कहीं कोई अंतर तो नहीं आ रहा है. इसलिए आपको उम्मीदवार(हंस) चयन प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता का उदाहरण पेश करते हुए एक-एक कदम फूंक-फूंककर रखना होगा. आपका उठाया एक गलत कदम देश के भविष्य को अंधकार में डूबा देगा.
श्री अरविन्द केजरीवाल जी, श्री अन्ना हजारे जी द्वारा किये प्रथम आंदोलन अप्रैल 2011 से आपको देश का बच्चा-बच्चा जानने लगा है. तब से काफी लोग मुझे उत्तम नगर का अरविन्द केजरीवाल कहते हैं और कहने को तो कुछ लोग "गरीबों का मसीहा" भी कहते हैं, क्योंकि पिछले 18 साल से अपनी पत्रकारिता के माध्यम से "आम आदमी" की आवाज को एक बुलंद आवाज देने का प्रयास करता आ रहा हूँ और आज तक जो कोई मेरे दरवाजे पर किसी भी प्रकार की मदद के लिए आया है. वो खाली हाथ या निराश नहीं लौटा है. यहाँ एक बात यह भी है कि मैंने कभी किसी की धन से मदद नहीं की है, बस अपनी कलम से और सही जानकारी देकर उसको जागरूक करके उसे उसकी समस्या का समाधान पाने की प्रक्रिया समझाई है और हाँ,  इसके अलावा ना मैं गरीबों का मसीहा हूँ और ना उत्तम नगर का अरविन्द केजरीवाल हूँ, क्योंकि हर व्यक्ति को अपने-अपने कर्मों द्वारा उसके शरीर को एक पहचान मिलती है.  मैं अपनी पूर्व की "सिरफिरा" और वर्तमान की "निर्भीक"  पहचान से ही संतुष्ट हूँ. आपको सनद होगा कि जो आप कर सकते हैं, वो मैं नहीं कर सकता हूँ और जो मैं कर सकता हूँ, वो आप नहीं कर सकते हैं. इसी प्रकार हर व्यक्ति को भगवान ने अपने-अपने कर्म करने के लिए हमारी- आपकी  "आत्मा" को मिटटी शरीर में समावेश करके भेजा है.  इसलिए कहाँ आप और कहाँ मैं यानि कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली.  मैं अपने आपको एक तुच्छ-सा जीव मानता हूँ. जिसे उस परम पिता परमेश्वर ने धरती पर जन्म लेकर नेक कार्य करने का आदेश दिया है. मैं उसी आदेश का पालन करता हूँ. मैंने कोई स्कूली/कालेज की ज्यादा किताबें नहीं पढ़ी है मगर "इंसानियत" (मानवता) नामक पाठ पढ़ा है और उसके अनुसार कार्य करने की कोशिश करता हूँ. 
यदि आप और आपकी पार्टी सचमुच में भारत देश को उन्नति व खुशहाली की ओर ले जाना चाहते हैं और आप अपनी पार्टी के संविधान के लिए बहुत अधिक कठोर और ठोस निर्णय ले सकते हैं.  तब मैं आपकी दिल्ली विधानसभा 2013 और लोकसभा 2014 के लिए ऐसा घोषणा पत्र तैयार करवा सकता हूँ.  जो पूरे भारत वर्ष की सभी राजनीतिक पार्टियों से अलग और निराला होगा. लेकिन इसके लिए बहुत ही त्यागी, तपस्वी और योगी उम्मीदवारों की जरूरत होगी और उनको तलाशने के लिए काफी प्रयास करने होंगे. हमारे भारत वर्ष में ऐसे व्यक्तियों को खोजना असंभव नहीं है. हमारे भारत देश में एक से एक बढकर त्यागी, बलिदानी और तपस्वी पैदा हुए है और आज भी है. ऐसा भारत देश का इतिहास गवाही दे रहा है.  बस इसके लिए आपके पास दृढ़ निश्चय होने के साथ वो जोश, वो जुनून होना चाहिए. मेरी इस बात को "सच" में बदलने के लिए आपको अपना कुछ कीमती समय मुझे देना होगा. उपरोक्त पत्र के माध्यम से अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते हुए अपनी विचारधारा आप तक पहुँचाना ही मेरा "जीवन का लक्ष्य" है. अपने क्रांतिकारी विचारों और अपनी ईमानदारी से चलाई लेखनी से आपको या आपकी पार्टी को नीचा दिखाना या अपमान करना मेरा उद्देश्य नहीं है.  मेरे विचारों के भावों को अपने विवेकानुसार अच्छी तरह से समझने का प्रयास करें.  

पूरी पोस्ट नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें. मेरा विचार है कि आपको मेरे विचारों को जानने का अवसर मिलेगा, कुछ हिंदी के मुहावरे और कहावतें आदि के बारे में मालूम होने के साथ ही देश की राजनीति में क्यों "अच्छे व्यक्तियों" की आवश्यकता है. इसका भी पता चलेगा. 

शनिवार, 4 अगस्त 2012

जब प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज न हो


आज हाई प्रोफाइल मामलों को छोड़ दें तो किसी अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करा लेना ही एक "जंग" जीत लेने के बराबर है. आज के सम.......पूरा लेख यहाँ रमेश कुमार सिरफिरा: जब प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज न हो पर क्लिक करके पढ़ें.

सोमवार, 9 जुलाई 2012

लड़ो और आखिरी दम तक लड़ों

दोस्तों ! आखिरकार टीम अन्ना को जंतर-मंतर पर अनशन करने की अनुमति मिल गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, शनिवार को टीम अन्ना को 25 जुलाई से 8 अगस्त तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन करने के लिए दिल्ली पुलिस की इजाजत मिल गई है । गौरतलब है कि दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने मानसून सेशन के हवाला देते हुए टीम अन्ना को अनुमति देने से मना कर दिया था। टीम अन्ना के अहम अरविंद केजरीवाल के अनुसार दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से शनिवार को मुलाकात के बाद यह परमिशन दी गई है। वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि कुछ शर्तों के साथ टीम अन्ना को यह अनुमति दी गई है । 
दोस्तों ! आप यह मत सोचो कि- देश ने हमारे लिए क्या किया है, बल्कि यह सोचो हमने देश के लिए क्या किया है ? इस बार आप यह सोचकर "आर-पार" की लड़ाई के लिए श्री अन्ना हजारे जी के अनशन में शामिल (अपनी-अपनी योग्यता और सुविधानुसार) हो. वरना वो दिन दूर नहीं. जब हम और हमारी पीढियां कीड़े-मकोड़ों की तरह से रेंग-रेंगकर मरेगी. आज हमारे देश को भ्रष्टाचार ने खोखला कर दिया है. माना आज हम बहुत कमजोर है, लेकिन "एकजुट" होकर लड़ो तब कोई हम सबसे ज्यादा ताकतवर नहीं है. 
 इतिहास गवाह रहा कि जब जब जनता ने एकजुट होकर अपने अधिकारों को लेने के लिए लड़ाई (मांग) की है, तब तब उसको सफलता मिली है. लड़ो और आखिरी दम तक लड़ों. यह मेरी-तुम्हारी लड़ाई नहीं है. हम सब की लड़ाई है. मौत आज भी आनी है और मौत कल भी आनी है. मौत से मत डरो. मौत एक सच्चाई है. इसको दिल से स्वीकार करो.  
 पूरा आलेख यहाँ सिरफिरा-आजाद पंछी: लड़ो और आखिरी दम तक लड़ों क्लिक करके पढ़ें.
अगर हम अपना-अपना राग और अपनी अपनी डपली बजाते रहे तो हमें कभी कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून नहीं मिलेगा. अब यह तुम्हारे ऊपर है कि गीदड़ की मौत मरना चाहते हो या शेर की मौत मरना चाहते हो. सब जोर से कहो कि- खुद मिटा देंगे लेकिन "जन लोकपाल बिल" लेकर रहेंगे. जो हमें जन लोकपाल बिल नहीं देगा तब हम यहाँ(ससंद) रहने नहीं देंगे. 
निम्नलिखित समाचार भी पढ़ें भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की लड़ाई

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

भारत देश की मांओं और बहनों के नाम एक अपील

मेरी बहनों/मांओं ! क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह आदि किसी के भाई और बेटे नहीं थें ?
क्या भारत देश में देश पर कुर्बान होने वाले लड़के/लड़कियाँ मांओं ने पैदा करने बंद कर दिए हैं ? जो भविष्य में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और झाँसी की रानी आदि बन सकें. अगर पैदा किये है तब उन्हें कहाँ अपने आँचल की छाँव में छुपाए बैठी हो ? 
उन्हें निकालो ! अपने आँचल की छाँव से भारत देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करके देश को "सोने की चिड़िया" बनाकर "रामराज्य" लाने के लिए देश को आज उनकी जरूरत है.  मौत एक अटल सत्य है. इसका डर निकालकर भारत देश के प्रति अपना प्रेम और ईमानदारी दिखाए. क्या तुमने देश पर कुर्बान होने के लिए बेटे/बेटियां पैदा नहीं की. अपने स्वार्थ के लिए पैदा किये है. क्या तुमको मौत से डर लगता है कि कहीं मेरे बेटे/बेटी को कुछ हो गया तो मेरी कोख सूनी हो जायेगी और फिर मुझे रोटी कौन खिलाएगा. क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आदि की मांओं की कोख सूनी नहीं हुई, उन्हें आज तक कौन रोटी खिलता है ? क्या उनकी मांएं स्वार्थी थी ?
पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें : भारत देश की मांओं और बहनों के नाम एक अपील

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

यह प्यार क्या है ?

ब भी प्यार की बात होती है सब लोग सिर्फ एक लड़की और एक लड़के में होने वाले आकर्षण को ही प्यार मान लेते हैं. परन्तु प्यार वो सुखद अनुभूति है जो किसी को देखे बिना भी हो जाती है. एक बाप प्यार करता है अपनी औलाद से, पति करता है पत्नी से, बहन करती है भाई से, यहाँ कौन ऐसा है जो किसी न किसी से प्यार न करता हो. चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो, प्यार को कुछ सीमित शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता.
प्यार फुलों से पूछो जो अपनी खुशबु को बिखेरकर कुछ पाने की चाह नही करता, प्यार क्या है यह धरती से पूछो जो हम सभी को पनाह और आसरा देती है. इसके बदले में कुछ नही लेती, प्यार क्या है आसमान से पूछो जो हमे अहसास दिलाता है कि -हमारे सिर पर किसी का आशीर्वाद भरा हाथ है. प्यार क्या है सूरज की गर्मी से पूछो. प्यार क्या है प्रकृति के हर कण से पूछो  जवाब मिल जायेगा. प्यार क्या है सिर्फ एक अहसास है जो सबके दिलों में धडकता है. प्यार एक ऐसा अहसास है जिसे शब्दों से बताया नहीं जा सकता, आज पूरी  दुनिया प्यार पर ही जिन्दा है, प्यार न हो तो ये जीवन कुछ भी नहीं है. प्यार को शब्दों मैं परिभाषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि अलग- 2 रिश्तों के हिसाब से  प्यार की अलग-2 परिभाषा होती है. प्यार की कोई एक परिभाषा देना बहुत मुश्किल है. यदि आपके पास कोई एक परिभाषा हो तो आप बताओ? पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें सच का सामना: यह प्यार क्या है ?:

शनिवार, 29 अक्टूबर 2011

रमेश कुमार सिरफिरा: "सच" का साथ मेरा कर्म व "इंसानियत" मेरा धर्म

रमेश कुमार सिरफिरा: "सच" का साथ मेरा कर्म व "इंसानियत" मेरा धर्म: प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया को आईना दिखाती एक पोस्ट मेरे दोस्तों/ शुभचिंतकों/आलोचकों - मुझे इस ब्लॉग "ब्लॉग की खबरें" के संच...